दोस्तों अक्सर हम सभी को नए घर में शिफ्ट होते समय घर में मंदिर कहाँ बनाना चाहिए और किस दिशा बनाना चाहिए इसकी चिंता लगी रहती है | हम सभी अपने घर में हर जगह का निर्माण वास्तु शास्त्र के अनुरूप करना चाहते है ताकि घर में रहने वाले सभी सदस्यों का उत्थान हो सके , वह अपने कार्य क्षेत्र में आगे बढ़ सके और नाम व पैसे कमा सके | वास्तु अनुरूप घर का निर्माण होने से घर परिवार के सभी सदस्यों का स्वास्थ्य सही रहता है और उनका मानसिक , आर्थिक व आध्यात्मिक विकास होता रहता है |
इसके लिए आपको किसी ज्योतिषी व फेंगशुई एक्सपर्ट से सलाह लेने की जरूरत नहीं है , आप नीचे बताये गए स्टेप्स को फॉलो करके भी अपने घर में मंदिर का निर्माण वास्तु के अनुरूप कर सकते है और घर में समृद्धि व शांति के साथ आगे का जीवन गुजार सकते है |
आज हम इस लेख में आपको घर में मंदिर कहाँ बनाना चाहिए इस बारे में जानकारी देंगे | घर में मंदिर किस दिशा में बनाना चाहिए , घर में मंदिर कहाँ नहीं बनाना चाहिए , मंदिर में कितनी मूर्तियाँ रखनी चाहिए , मंदिर का मुँह किस तरफ होना चाहिए आदि के बारे में आपको जानकारी देंगे| यदि आप भी इस बारे में सभी जरुरी जानकारी पाना चाहते है तो आपको लेख को पूरा पढ़ना होगा ताकि कोई भी जरुरी जानकारी आपसे छूटने न पाए और आप घर बनाते समय वास्तु नियमो का पूरी तरह से पालन कर सके |
ghar me mandir kaha banaye/ घर में मंदिर कहाँ बनाना चाहिए
वास्तु शास्त्र की उपलब्ध जानकारियों के अनुसार घर में मंदिर हमेशा ईशान कोण में ऐसी जगह बनाया जाना चाहिए जहाँ ज्यादा आना – जाना न रहता हो और शांति का वातावरण हो ताकि पूजा पाठ करते समय आप को किसी तरह की असुविधा न हो |
लेकिन यदि आपके पास इतनी जगह नहीं है की आप मंदिर के लिए एकांत जगह का चयन कर सके तो आप मंदिर को लिविंग रूम या बैडरूम कही पर भी बना सकते है , बस ध्यान रखे की मंदिर का निर्माण हमेशा ईशान कोण यानि उत्तर पूर्व दिशा में ही किया जाना चाहिए |
ईशान कोण को वेद शास्त्रों के अंतरगत सबसे पवित्र दिशा माना जाता है और सभी देवी – देवताओं का वाश इसी दिशा में माना जाता है | इसलिए ईशान कोण में मंदिर का निर्माण करने से ईश्वर की कृपादृष्टि व उनका आशीर्वाद आपके परिवार पर हमेशा बना रहेगा |
ईशान कोण में मंदिर स्थापित करने से पूजा करते समय आपका मुँह हमेशा पूर्व दिशा की और रहेगा जो की अच्छा माना जाता है | लेकिन यदि आपके पास ईशान कोण में मंदिर बनाए के लिए जगह नहीं है तो आप घर की उत्तर या फिर पूर्व दिशा में भी मंदिर का निर्माण कर सकते है |
घर के मंदिर में सूर्य की रोशनी का पड़ना भी बहुत जरुरी होता है इसलिए मंदिर का निर्माण करते समय इस बात का ध्यान अवश्य रखे | मंदिर में सूर्य की रौशनी पड़ते रहने से आप ऊर्जावान रहते है और आपको स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ता है |
घर का मंदिर कैसे बनाये
घर का मंदिर ज्यादा बड़ा नहीं होना चाहिए व अधिक ऊँचा नहीं होना चाहिए | यह इतना ऊँचा होना चाहिए की पूजा करते समय हमारे हाथ आसानी से भगवान तक पहुंच सके | वैसे तो आप किसी भी तरह का मंदिर रख सकते है लेकिन लकड़ी से बना हुआ मंदिर ज्यादा अच्छा माना जाता है | यदि आपके पास लकड़ी का मंडी नहीं है तो आप मार्बल का मंदिर भी उपयोग कर सकते है | इसे भी वास्तु के हिसाब से अच्छा माना जाता है | मंदिर का रंग हमेशा पीला , सफ़ेद या नारंगी रखना चाहिए और अन्य रंग के रंगो का उपोग नहीं करना चाहिए |
मंदिर कभी भी दक्षिण दिशा में या खिड़की आदि के पास कोने में नहीं बनाना चाहिए , इस तरह के मंदिर का कभी भी आपको शुभ प्रभाव नहीं मिलेगा | मंदिर के अंदर आसान के लिए हमेशा पीले , लाल या नारंगी रंग के कपडे का प्रयोग करना चाहिए |
मंदिर में भगवान की मूर्तियों के साथ में कभी भी पितरो / पूर्वजों की फोटो को रखकर उनकी पूजा नहीं करनी चाहिए , इसका विपरीत असर आपको शीघ्र ही देखने को मिल सकता है |
घर में मंदिर कहा नहीं बनाना चाहिए
घर में मंदिर कभी भी बालकनी / तहखाने या फिर सीढ़ियों के नीचे या किचेन आदि में नहीं बनाना चाहिए | मंदिर कभी भी टॉयलेट / बाथरूम के पास या टॉयलेट के सामने भी नहीं बनाना चाहिए , नहीं तो गलत ऊर्जा मंदिर तक जाती रहेगी जिससे आपका नुकसान होना शुरू हो जायेगा | शयन कक्ष भी मंदिर बनाने के लिए ज्यादा उपयुक्त नहीं समझा जाता है लेकिन यदि आप के पास मंदिर बनाने के लिए और जगह नहीं है तो आप बैडरूम या फिर लिविंग रूम में मंदिर का निर्माण कर सकते है |
मंदिर बैडरूम में होने पर आपको मंदिर के द्वार पर पर्दा लगाकर रखना चाहिए और सिर्फ पूजा – पाठ के समय ही मंदिर को खोलना चाहिए |
मंदिर में कितनी मूर्तियाँ रखनी चाहिए
घर के मंदिर में लक्ष्मी – गणेश जी की मूर्ति रखने के साथ ही आपको अपने आराध्य देव की मूर्ति जरूर रखनी चाहिए और उनकी नियमित पूजा करनी चाहिए | इसके अतिरिक्त भी यदि आप किसी और देवी – देवता में अपनी आस्था रखते है तो उनकी मूर्ति या फोटो को भी आप अपने पूजा के मंदिर में रख सकते है , लेकिन आपको सिर्फ उतने ही देवी – देवता की मूर्तियां रखनी चाहिए जिनकी आप नियमित पूजा कर सके |
घर में नए मंदिर की स्थापना कब करनी चाहिए
घर में नए मंदिर की स्थापना करने का भी कुछ नियम बनाया गया है जिसका पालन हम सबको अवश्य करना चाहिए | मंदिर की स्थापना के लिए माघ ,फाल्गुन , चैत्र , वैशाख , ज्येष्ठ व सावन और कार्तिक के महीने माने गए है | इन सभी महीनो में शुक्ल पक्ष में आप अपने घर पर नए मंदिर की स्थापना कर सकते है |
मंदिर की स्थापना हमेशा सोमवार , बुधवार , गुरुवार व शुक्रवार के दिन करनी चाहिए , आप अपने इष्टदेव का जो दिन है उस दिन भी उनकी पूजा करके घर में मंदिर का स्थापना कर सकते है | मंगलवार , शनिवार व रविवार को मंदिर की स्थापना करने के लिए अच्छा नहीं माना जाता है| आप मंदिर की स्थापना राम नवमी , दुर्गा अष्टमी , नवरात्री , होली , दिवाली के समय व सावन के महीने में भी आकर सकते है |
मंदिर की स्थापना हमेशा अभिजीत मुहूर्त में ही करनी चाहिए , अभिजीत मुहूर्त हरी को अत्यंत प्रिय होता है | कभी भी रात्रि या दोपहर के समय मंदिर की स्थापना नहीं करनी चाहिए | मंदिर की स्थापना करते समय आपको तिथि व नक्षत्र का ध्यान भी रखना चाहिए | मंदिर की स्थापना सिर्फ उत्तरा फाल्गुनी , उत्तरा अषाढा, रोहिणी , अश्विनी , रेवती , पुनर्वसु व श्रवण नक्षत्र में व पंचमी , नवमी , सप्तमी , अषटमी , पूर्णमासी आदि तिथि में करनी चाहिए |
मंदिर में कब करे मूर्ति की स्थापना
मंदिर में मूर्ति की स्थापना करने का भी एक समय होता है और मंदिर का पूरा लाभ लेने के लिए आपको उसी समय मंदिर में मूर्तियों की स्थापना करनी चाहिए ताकि आपको आपके पूजा पाठ का अधिकतम फल प्राप्त हो सके | यदि आपको हनुमान जी की मूर्ति की स्थापना करनी है तो आप शनिवार या मंगलवार के दिन मूर्ति की स्थापना कर सकते है , लेकिन आपको बाकि देवी – देवताओ की मूर्ति की स्थापना मंगलवार के दिन करने से बचना चाहिए |
राम दरबार की स्थापन आप राम – नवमी के दिन या फिर दीपावली के समय पर भी कर सकते है | इसी तरह से हनुमान जी की मूर्ति की स्थापना उनके जन्म दिवस के अवसर यानि बड़ा मंगल के समय पर की जा सकती है |
वही यदि आपको मातारानी की मूर्ति की स्थापना करनी है तो आप को नवरात्री में करना चाहिए | लक्ष्मी – गणेश व कुबेर जी की मूर्ति की स्थापना आप दीपावली के समय पर कर सकते है और देवी सरस्वती की मूर्ति की स्थापना आपको बसंत – पंचमी के अवसर पर करनी चाहिए |
अधिक मास यानि मलमास के समय पर आपको कभी देवी – देवता की मूर्ति की स्थापना करने से बचाना चाहिए , वही जब गुरु व शुक्र गृह अस्त चल रहे हो उस समय भी आपको मूर्ति स्थापना नहीं करनी चाहिए अन्यथा आपको इनका अधिक लाभ नहीं मिल पायेगा |
घर में कैसी मूर्ति रख सकते है
घर के मंदिर में आप मिटटी , धातु के साथ ही सोने , चांदी आदि की बनी हुई मूर्तियाँ भी रख सकते है हालांकि धातु से बनी मूर्ति को पूजा – पाठ करने के लिए सर्वश्रेस्ठ माना जाता है | घर में रखी जाने वाली मूर्ति का आकार अंगूठे के बराबर या फिर 3 इंच से अधिक नहीं होना चाहिए | घर में कभी ज्यादा बड़ी मूर्ति नहीं रखनी चाहिए |
घर में कैसी मूर्ति नहीं रखनी चाहिए
घर के मंदिर में कभी भी ब्रह्मा , इंद्रा या नृसिंह भगवान की मूर्तियाँ नहीं रखनी चाहिए न ही किसी हिंसक देवी – देवता को ही घर के मंदिर में रखना चाहिए | घर में हिंसक मूर्तियों को रखने व उनकी पूजा करने से आपके अंदर क्रोध की मात्रा बढ़ सकती है और उनका असर आपके ऊपर देखने को मिल सकता है | मंदिर में एक ही देवी – देवता की एक से अधिक फोटो नहीं रखनी चाहिए |
मंदिर में कभी भी टूटी हुई मूर्तियां या भगवान जी के फटे हुए फोटो आदि को नहीं रखना चाहिए | इस तरह की मूर्तियों का तुरंत कही उचित जगह पर विसर्जन कर देना चाहिए | मंदिर में भगवान के विग्रह का मुख कभी भी दक्षिण दिशा की और न रखे , हमेशा कोशिश करे की मूर्तियों का मुँह उत्तर , पूर्व या फिर पश्चिम दिशा की तरफ ही रहे | हनुमान जी व शिव जी की मूर्ति का मुँह दक्षिण दिशा की तरफ करके भी उनकी पूजा की जा सकती है , दक्षिण दिशा में रखे हनुमान जी हमेशा आपकी दुश्मनो व विपत्तियों से रक्षा करते है |
मंदिर में रखे सभी देवी – देवता की पूजा आपको नियमित रूप से करनी चाहिए ऐसा न करने से आपके ऊपर नकरात्मक प्रभाव पड़ने लगता है | मंदिर में रखे सभी देवताओं की नियमित पूजा करनी चाहिए , आरती व भोग लगाना चाहिए और समय – समय पर उनकी साफ – सफाई आदि करते रहना चाहिए ताकि मंदिर साफ – सुथरा रहे | मंदिर में लगातार पूजा करते रहने से मूर्तियाँ शीघ्र ही प्राणवान हो जाती है और आपके ऊपर उनकी कृपा होने लगती है |
घर के मंदिर की समय – समय पर साफ – सफाई होना बहुत जरुरी होता है अन्यथा आपके नवग्रह बिगड़ने लगते है | इसलिए कुछ समय के अंतराल पर मंदिर की सफाई करते रहे , सूखे फूल व पूजा – पाठ की सामग्री को हटाते रहे और मूर्तियों को गंगाजल व गाय के दूध से स्नान कराते रहे | ऐसा करते रहने से घर का मंदिर ऊर्जावान होता जायेगा जिसका परिणाम आपको आने वाले समय में देखने को मिलेगा |
डिस्क्लेमर – आज हमने इस लेख में आपको घर में मंदिर कहाँ बनाना चाहिए इस बारे में जानकारी दी है | यह जानकारी प्राचीन वैदिक ग्रंथो व उपलब्ध मान्यताओं के आधार पर दी गयी है | अधिक जानकारी के लिए नीचे गए लिंक पर क्लिक कर सकते है –
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